महेन्द्रगढ : मंजीत डाबला :
पतंजलि परिवार महेंद्रगढ़ के तत्वाधान में रविवार को औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान नारनौल में 108 कुंडीय महायज्ञ का आयोजन किया गया। इसमें कुल 108 कुंडों पर 111 जोड़ों ने एक साथ मिलकर देव यज्ञ व सत्संग किया। यज्ञ में ब्रह्मा के रूप में आर्ष गुरुकुल खानपुर संचालक पूज्य स्वामी अभयदेव जी महाराज के शिष्य ब्रह्मचारी भाई जनक जी व सत्य प्रकाश जी और आचार्य दयाराम राव जी रहे, जिन्होंने यज्ञ की भूमिका व यज्ञ की महिमा के बारे में बताते हुए यज्ञ संपन्न करवाया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पतंजलि योगपीठ हरिद्वार से पधारे डॉक्टर यशदेव शास्त्री जी रहे जिन्होंने आयोजक टीम को सफल आयोजन के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पतंजलि परिवार महेंद्रगढ़ एक साल में 5 बार 108 कुंडीय महायज्ञ का आयोजन किया है। जो बहुत ही सराहनीय है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मानव का यह कर्तव्य है कि वह अपने घर में नियमित रूप से यज्ञ करें व अपने आसपास होने वाले सामाजिक कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लें।
पतजंलि ग्रामोद्योग के महामंत्री डॉ यशदेव शास्त्री ने आगे बताया कि मनुष्य शरीर व मनुष्य कार्यों के कारण से निरन्तर निकलती रहने वाली गंदगी के कारण जो वायु मण्डल दूषित होता रहता है, उसकी शुद्धि यज्ञ की सुगन्ध से होती है। हम मनुष्य शरीर धारण करके जितना दुर्गन्ध पैदा करते हैं उतनी ही सुगन्ध भी पैदा करें तो
सार्वजनिक वायु-तत्व को दूषित करने के अपराध से छुटकारा प्राप्त करते हैं। यज्ञ धूम्र आकाश में जाकर बादलों में मिलता है उससे वर्षा का अभाव दूर होता है। साथ ही यज्ञ धूम्र की शक्ति के कारण बादलों में प्राणशक्ति उसी प्रकार भर जाती है जिस प्रकार इन्जेक्शन की पिचकारी से थोड़ी-सी दवा भी शरीर में प्रवेश करादी जाय तो उसका प्रभाव सारे शरीर पर पड़ता है। ये शब्द आर्ष गुरुकुल खानपुर से आये यज्ञ ब्रह्मा पूज्य स्वामी अभयदेव महाराज जी ने अपने व्यक्तव्य में कहे।
विशिष्ट अतिथि दयाराम यादव चेयरमैन ने कहा कि यज्ञ के द्वारा जो शक्तिशाली तत्व वायु मण्डल में फैलाये जाते हैं उनसे हवा में घूमते हुए असंख्यों रोग कीटाणु सहज ही नष्ट होते हैं। डी.डी.टी., फिनाइल आदि छिड़कने, बीमारियों से बचाव करने की दवाएं या सुइयां लेने से भी कहीं अधिक कारगर उपाय यज्ञ करना है। साधारण रोगों एवं महामारियों से बचने का यज्ञ एक सामूहिक उपाय है। मनुष्यों की ही नहीं, पशु पक्षियों, कीटाणुओं एवं वृक्ष वनस्पतियों के आरोग्य की भी यज्ञ से रक्षा होती है।
अंत मे जिला प्रभारी पतंजलि योग समिति नीलेश मुद्गल जी ने कहा कि यज्ञ द्वारा प्रथक-प्रथक रोगों की भी चिकित्सा हो सकती है। यज्ञ तत्व का ठीक प्रकार उपयोग करके अन्य चिकित्सा पद्धतियों के मुकाबिले में अधिक मात्रा में अधिक शीघ्रतापूर्वक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। यज्ञ द्वारा विश्वव्यापी पंच तत्वों की, तन्मात्रों की, तथा दिव्य शक्तियों की परिपुष्टि होती हैं। इसके क्षीण हो जाने पर दुखदायी असुरता संसार में बढ़ जाती है और मनुष्यों को नाना प्रकार के त्रास सहने पड़ते हैं। देवताओं का—सूक्ष्म जगत के उपयोगी देवतत्वों का भोजन यज्ञ है। जब उन्हें अपना आहार समुचित मात्रा में मिलता रहता है तो वे परिपुष्ट रहते हैं और असुरता को, दुख दारिद्र को दबाये रहते हैं।
इस अवसर महिला पतजंलि योग समिति प्रांतीय प्रभारी सत्या देवी, सह प्रभारी डॉ प्रवीण पूनियां जी, नंदराम महाशय, रेवाड़ी जिला पतजंलि टीम, भिवानी जिला पतजंलि टीम, महिला जिला प्रभारी सरोज गर्ग, जिला महामंत्री सुशीला देवी, मदनगोपाल आर्य, कृष्णा यादव प्राचार्या, संजय अग्रवाल, केसर सिंह एडवोकेट बजरंग जांगिड़ आदि सहित अनेकों कार्यकर्ता श्रद्धालुगण उपस्थित रहे।
पतंजलि परिवार महेंद्रगढ़ के तत्वाधान में रविवार को औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान नारनौल में 108 कुंडीय महायज्ञ का आयोजन किया गया। इसमें कुल 108 कुंडों पर 111 जोड़ों ने एक साथ मिलकर देव यज्ञ व सत्संग किया। यज्ञ में ब्रह्मा के रूप में आर्ष गुरुकुल खानपुर संचालक पूज्य स्वामी अभयदेव जी महाराज के शिष्य ब्रह्मचारी भाई जनक जी व सत्य प्रकाश जी और आचार्य दयाराम राव जी रहे, जिन्होंने यज्ञ की भूमिका व यज्ञ की महिमा के बारे में बताते हुए यज्ञ संपन्न करवाया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पतंजलि योगपीठ हरिद्वार से पधारे डॉक्टर यशदेव शास्त्री जी रहे जिन्होंने आयोजक टीम को सफल आयोजन के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पतंजलि परिवार महेंद्रगढ़ एक साल में 5 बार 108 कुंडीय महायज्ञ का आयोजन किया है। जो बहुत ही सराहनीय है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मानव का यह कर्तव्य है कि वह अपने घर में नियमित रूप से यज्ञ करें व अपने आसपास होने वाले सामाजिक कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लें।
पतजंलि ग्रामोद्योग के महामंत्री डॉ यशदेव शास्त्री ने आगे बताया कि मनुष्य शरीर व मनुष्य कार्यों के कारण से निरन्तर निकलती रहने वाली गंदगी के कारण जो वायु मण्डल दूषित होता रहता है, उसकी शुद्धि यज्ञ की सुगन्ध से होती है। हम मनुष्य शरीर धारण करके जितना दुर्गन्ध पैदा करते हैं उतनी ही सुगन्ध भी पैदा करें तो
सार्वजनिक वायु-तत्व को दूषित करने के अपराध से छुटकारा प्राप्त करते हैं। यज्ञ धूम्र आकाश में जाकर बादलों में मिलता है उससे वर्षा का अभाव दूर होता है। साथ ही यज्ञ धूम्र की शक्ति के कारण बादलों में प्राणशक्ति उसी प्रकार भर जाती है जिस प्रकार इन्जेक्शन की पिचकारी से थोड़ी-सी दवा भी शरीर में प्रवेश करादी जाय तो उसका प्रभाव सारे शरीर पर पड़ता है। ये शब्द आर्ष गुरुकुल खानपुर से आये यज्ञ ब्रह्मा पूज्य स्वामी अभयदेव महाराज जी ने अपने व्यक्तव्य में कहे।
विशिष्ट अतिथि दयाराम यादव चेयरमैन ने कहा कि यज्ञ के द्वारा जो शक्तिशाली तत्व वायु मण्डल में फैलाये जाते हैं उनसे हवा में घूमते हुए असंख्यों रोग कीटाणु सहज ही नष्ट होते हैं। डी.डी.टी., फिनाइल आदि छिड़कने, बीमारियों से बचाव करने की दवाएं या सुइयां लेने से भी कहीं अधिक कारगर उपाय यज्ञ करना है। साधारण रोगों एवं महामारियों से बचने का यज्ञ एक सामूहिक उपाय है। मनुष्यों की ही नहीं, पशु पक्षियों, कीटाणुओं एवं वृक्ष वनस्पतियों के आरोग्य की भी यज्ञ से रक्षा होती है।
अंत मे जिला प्रभारी पतंजलि योग समिति नीलेश मुद्गल जी ने कहा कि यज्ञ द्वारा प्रथक-प्रथक रोगों की भी चिकित्सा हो सकती है। यज्ञ तत्व का ठीक प्रकार उपयोग करके अन्य चिकित्सा पद्धतियों के मुकाबिले में अधिक मात्रा में अधिक शीघ्रतापूर्वक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। यज्ञ द्वारा विश्वव्यापी पंच तत्वों की, तन्मात्रों की, तथा दिव्य शक्तियों की परिपुष्टि होती हैं। इसके क्षीण हो जाने पर दुखदायी असुरता संसार में बढ़ जाती है और मनुष्यों को नाना प्रकार के त्रास सहने पड़ते हैं। देवताओं का—सूक्ष्म जगत के उपयोगी देवतत्वों का भोजन यज्ञ है। जब उन्हें अपना आहार समुचित मात्रा में मिलता रहता है तो वे परिपुष्ट रहते हैं और असुरता को, दुख दारिद्र को दबाये रहते हैं।
इस अवसर महिला पतजंलि योग समिति प्रांतीय प्रभारी सत्या देवी, सह प्रभारी डॉ प्रवीण पूनियां जी, नंदराम महाशय, रेवाड़ी जिला पतजंलि टीम, भिवानी जिला पतजंलि टीम, महिला जिला प्रभारी सरोज गर्ग, जिला महामंत्री सुशीला देवी, मदनगोपाल आर्य, कृष्णा यादव प्राचार्या, संजय अग्रवाल, केसर सिंह एडवोकेट बजरंग जांगिड़ आदि सहित अनेकों कार्यकर्ता श्रद्धालुगण उपस्थित रहे।
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